श्री प्रेमानंद महाराज जी का सच्चा मार्गदर्शन: जब मोबाइल की लत सताने लगे

एक दिन एक युवा साधक ने श्री प्रेमानंद महाराज जी से बड़ी ही सरलता से एक सवाल किया –
“महाराज जी, मन पर काबू नहीं हो पा रहा। ज़्यादातर समय मोबाइल की रील्स देखने में चला जाता है। लत ऐसी लग गई है कि मन अशांत रहता है।”

🧠 महाराज जी ने बड़े प्रेम से कहा:

“बेटा, ये तो बहुत खतरनाक चीज़ है। तुम सोचते हो कभी कोई अच्छी रील देख लोगे, लेकिन कब कौन-सी गलत चीज़ आ जाएगी, ये पता नहीं चलता। फिर धीरे-धीरे बुद्धि खराब हो जाती है। इसलिए इसे रोकना बहुत ज़रूरी है।”

📵 मोबाइल – वरदान भी है और विपत्ति भी

महाराज जी ने आगे कहा –
“मोबाइल अपने आप में बुरा नहीं है। इसका सही उपयोग किया जाए तो बहुत लाभ दे सकता है – सत्संग सुन सकते हो, जरूरी संदेश भेज सकते हो। लेकिन अगर मन को कंट्रोल न कर सको तो यही मोबाइल तुम्हें भटका देगा।”

उन्होंने साफ़ कहा कि मोबाइल की दुनिया में इतनी चकाचौंध, नाटक और दिखावा है कि आदमी उसमें फंस जाता है। धीरे-धीरे मन भक्ति से हटकर उस ओर भागने लगता है।

🕉️ जैसे हंस दूध पीती है, पानी छोड़ती है…

एक बड़ी प्यारी बात महाराज जी ने कही –
“बेटा, जैसे हंस दूध पी जाती है और पानी छोड़ देती है, वैसे ही हमें मोबाइल में से भी सिर्फ अच्छा लेना चाहिए। सत्संग सुनो, संतों की बातें सुनो, भगवान के नाम से जुड़ो। बाक़ी सब को छोड़ दो।”

🛑 क्यों लगती है रील्स की आदत?

आजकल हर किसी को लगता है –
“बस एक वीडियो देख लूं… फिर दूसरी, फिर तीसरी… और पता ही नहीं चलता कब एक घंटा बीत गया।”

महाराज जी ने समझाया –
“अगर भगवान का नाम लेना है, भक्ति करनी है तो जैसे रास्ते में आंख नीचे करके अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हो, वैसे ही मोबाइल में भी मन को सिर्फ अपने मार्ग पर लगाना है।”

🔁 तो करना क्या है?

👉 मोबाइल में सिर्फ वही रखें, जो आपकी आत्मा को ऊपर उठाए – जैसे सत्संग, भागवत कथा, संतों की बातें।
👉 रील्स और सोशल मीडिया को सीमित करो, वरना समय ऐसे ही निकलता रहेगा।
👉 दिन का कुछ समय मोबाइल से दूर रहो, ध्यान लगाओ, नाम जपो।
👉 मन को समझाओ, कि क्या देखना है और क्या नहीं – ये तय करो पहले से।

🙏 अंत में बस यही…

आज हर किसी के हाथ में मोबाइल है। ये सही हाथों में हो, सही सोच के साथ हो, तो यही मोबाइल हमें भगवान से जोड़ सकता है। लेकिन अगर मन चंचल हो, तो यही चीज़ हमें भटका भी सकती है।

श्री प्रेमानंद महाराज जी का सीधा संदेश है –
“मोबाइल को साधन बनाओ, बाधा नहीं। इसमें सत्संग सुनो, संतों की वाणी सुनो। लेकिन अगर मन पर नियंत्रण नहीं है, तो मोबाइल से दूरी ही भली।

डिस्क्लइमर [ disclaimer ] श्री पूज्य गुरुवर्य प्रेमानंद जी महाराज जी विश्व के मानवता कल्याण के लिए पर्वत इतने बढ़े ज्ञान का अमृत दे रहे है.. वेबसाइट की माध्यम से वही ज्ञान प्रसार लोगों को देना का काम एक चींटी की भाती प्रयास कर रहा हूं.. श्री गुरुवर्य महाराज के ज्ञान प्रसार के लिए बल प्रदान करे..राधे..राधे..

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