श्री प्रेमानंद महाराज: नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मक कैसे रहें?

एकांत वार्तालाप में एक युवक ने श्री प्रेमानंद महाराज से प्रश्न किया कि इस संसार में चारों ओर फैली नकारात्मकता से कैसे बचा जाए और हमेशा सकारात्मक कैसे बना रहा जाए? इस पर श्री महाराज ने सरल और गहन उत्तर दिया।

नकारात्मकता और सकारात्मकता का मूल स्रोत

श्री प्रेमानंद महाराज ने युवक को समझाया कि नकारात्मकता और सकारात्मकता दोनों हमारे मन की उपज हैं। उन्होंने कहा,

हमारे विचार ही हमारी दुनिया को सकारात्मक या नकारात्मक बनाते हैं। यदि हम अपने मन में सदा पवित्र और सकारात्मक विचार रखें, तो हमारे आसपास का संसार भी सकारात्मक प्रतीत होगा।”

महाराज जी ने यह भी कहा कि हमारा भोजन और विचार दोनों पवित्र होने चाहिए। जो हम खाते हैं और जैसा हम सोचते हैं, वही हमारे जीवन की दिशा तय करता है।

अहंकार और द्वेष से मुक्ति

महाराज जी ने बताया कि नकारात्मकता का मुख्य कारण है हमारा अहंकार, द्वेष और ईर्ष्या। यदि हम इनसे मुक्त हो जाएं और ईश्वर के चरणों में समर्पण कर दें, तो हमारी दृष्टि संसार के प्रति बदल जाती है। उन्होंने कहा,

“यह संसार वैसा ही है जैसा हम उसे देखना चाहते हैं। यदि हमारी दृष्टि सकारात्मक है, तो हमें संसार सुंदर और सुखदायक लगेगा। लेकिन यदि हम नकारात्मक विचारों से भरे हैं, तो हमें यह संसार दुख और कष्टों से भरा हुआ प्रतीत होगा।”

सकारात्मकता बनाए रखने के उपाय

  1. पवित्र विचार: हमेशा अच्छे और सकारात्मक विचारों को मन में स्थान दें।
  2. भोजन का ध्यान: ऐसा भोजन करें जो शरीर और मन दोनों को पवित्र बनाए।
  3. ईश्वर का स्मरण: नित्य भगवान का स्मरण करें और उनके चरणों में लीन रहें।
  4. अहंकार का त्याग: अहंकार, ईर्ष्या और द्वेष जैसे नकारात्मक भावों से दूरी बनाएं।
  5. संगति का प्रभाव: अच्छी संगति में रहें, क्योंकि हमारी संगति हमारे विचारों को प्रभावित करती है।

श्री महाराज का संदेश

महाराज जी ने अंत में कहा कि यह संसार नकारात्मक या सकारात्मक नहीं है, बल्कि यह हमारे मन का प्रतिबिंब है। यदि हम अपने मन को सकारात्मक बना लें, तो यह संसार भी हमें सकारात्मक और सुंदर लगेगा।

डिस्क्लइमर [ disclaimer ] श्री पूज्य गुरुवर्य प्रेमानंद जी महाराज जी विश्व के मानवता कल्याण के लिए पर्वत इतने बढ़े ज्ञान का अमृत दे रहे है.. वेबसाइट की माध्यम से वही ज्ञान प्रसार लोगों को देना का काम एक चींटी की भाती प्रयास कर रहा हूं.. श्री गुरुवर्य महाराज के ज्ञान प्रसार के लिए बल प्रदान करे..राधे..राधे..

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