एकांत वार्तालाप के दौरान एक युवक ने श्री प्रेमानंद महाराज से यह सवाल पूछा कि क्या नाम जप करने से व्यक्ति को धन, दौलत, ऐश्वर्या और प्रतिष्ठा मिल सकती है? इस सवाल पर श्री महाराज ने सरल और गहन उत्तर दिया।
श्री प्रेमानंद महाराज ने कहा, “जब कोई साधक नाम जप करना शुरू करता है, तो पहले वह इस संसार की कई अपेक्षाओं से भरा हुआ होता है। उसका मन धन, दौलत, ऐश्वर्या और प्रतिष्ठा प्राप्त करने की इच्छा से व्याकुल रहता है। लेकिन जैसे-जैसे वह नाम जप में रुचि और ईश्वर के प्रति प्रेम बढ़ाता है, उसे इस संसार की सारी चीजें फीकी और नीरस लगने लगती हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “नाम जप से साधक का मन धीरे-धीरे निर्मल हो जाता है। वह परम आनंद में डूब जाता है। ऐसे में, धन, दौलत और प्रतिष्ठा जैसे भौतिक सुख उसके लिए कोई महत्व नहीं रखते। नाम जप का असली उद्देश्य आत्मा की शुद्धि और परमात्मा के साथ एकात्मता है, न कि इस संसार की वस्तुएं।”
नाम जप के प्रभाव:
- आध्यात्मिक सुख: नाम जप से व्यक्ति का मन शांत और निर्मल हो जाता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है।
- भौतिकता से मुक्ति: जैसे-जैसे साधक का ध्यान नाम जप पर बढ़ता है, भौतिक सुखों की लालसा कम होती है।
- ईश्वर के प्रति प्रेम: नाम जप साधक को परमात्मा के निकट लाता है, और उसे ईश्वर के प्रति सच्चे प्रेम का अनुभव होता है।
- धन-दौलत से अधिक मूल्यवान: नाम जप से साधक को धन और ऐश्वर्या से अधिक महत्वपूर्ण चीजों का अहसास होता है, जैसे आंतरिक शांति और आत्मसंतुष्टि।
निष्कर्ष: नाम जप से धन, दौलत और प्रतिष्ठा प्राप्त करने का उद्देश्य गलत है। असल में, यह साधना आत्मिक शांति और ईश्वर के साथ एकाकार होने का माध्यम है। जब व्यक्ति का मन निर्मल होता है, तो उसे इस संसार के भौतिक सुखों की आवश्यकता नहीं होती। इसलिए, नाम जप का महत्व अधिकतर भौतिक लाभ से परे है।
डिस्क्लइमर [ disclaimer ] श्री पूज्य गुरुवर्य प्रेमानंद जी महाराज जी विश्व के मानवता कल्याण के लिए पर्वत इतने बढ़े ज्ञान का अमृत दे रहे है.. वेबसाइट की माध्यम से वही ज्ञान प्रसार लोगों को देना का काम एक चींटी की भाती प्रयास कर रहा हूं.. श्री गुरुवर्य महाराज के ज्ञान प्रसार के लिए बल प्रदान करे..राधे..राधे..
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