भगवान शिव की भक्ति करने वाले अनेक भक्त यह जानना चाहते हैं कि शिव का साक्षात्कार कैसे हो सकता है। एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज जी से यही प्रश्न किया कि वह भगवान शंकर जी का साक्षात्कार कैसे कर सकता है। इस पर महाराज जी ने जो उत्तर दिया, वह हम सभी के लिए प्रेरणादायक है।
भगवान शिव का साक्षात्कार करने का मार्ग
प्रेमानंद महाराज जी ने कहा कि भगवान शिव तो हमारे हृदय में ही विराजमान हैं, लेकिन हम तीन गुणों – सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण के पर्दे में बंधे हुए हैं। जब तक ये तीनों पर्दे हटेंगे नहीं, तब तक शिव के दर्शन नहीं हो सकते। शिव साक्षात्कार के लिए इन गुणों को हटाने और पवित्र जीवन जीने की आवश्यकता होती है।
शिव मंत्र और साधना का महत्व
महाराज जी ने बताया कि पंचाक्षरी मंत्र – “ॐ नमः शिवाय” को श्वास-श्वास में बसा लेना चाहिए।
- जब शरीर अपवित्र हो, तो “सांब सदाशिव” का जप करें।
- जब शरीर पवित्र हो, तो “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करें।
- जितना अधिक नाम जप होगा, उतना ही शिव के करीब पहुंचने का अवसर मिलेगा।
शिव साक्षात्कार के लिए जरूरी नियम
- सच्ची निष्ठा और श्रद्धा रखें – केवल औपचारिक भक्ति से शिव नहीं मिलते, उनके लिए समर्पित भाव आवश्यक है।
- पवित्रता बनाए रखें – आचरण और विचारों में शुद्धता रखें।
- गंदे आचरण से बचें –
- पराई माता और बहनों की ओर बुरी दृष्टि न डालें।
- पराए धन की इच्छा न करें।
- किसी का अमंगल न सोचें।
- निरंतर मंत्र जप करें – भगवान शिव के नाम का जितना अधिक जप होगा, उतनी ही आध्यात्मिक उन्नति होगी।
- संतों और सत्संग का महत्व समझें – नियमित रूप से संतों का सत्संग करें और उनके उपदेशों को जीवन में अपनाएं।
शिव साक्षात्कार का अंतिम सत्य
जब व्यक्ति पूरी निष्ठा और भक्ति के साथ भगवान शिव का ध्यान करता है, तब वह स्वयं शिव स्वरूप हो जाता है। प्रेमानंद महाराज जी ने कहा, “जानत तुम्ह, तुम्ह हो जाए,” अर्थात जब शिव का साक्षात्कार होगा, तो व्यक्ति स्वयं शिवमय हो जाएगा।
निष्कर्ष
भगवान शिव का साक्षात्कार करना कठिन नहीं है, लेकिन इसके लिए दृढ़ संकल्प, शुद्ध आचरण और निरंतर साधना की आवश्यकता होती है। यदि हम शिव के पवित्र मंत्रों का निरंतर जाप करें और अपने जीवन को शुद्ध रखें, तो शिव से मिलने का मार्ग स्वतः ही खुल जाएगा।
“शिव नाम जपो, पवित्र जीवन जीओ और भगवान शिव के साक्षात्कार का अनुभव करो।”
डिस्क्लइमर [ disclaimer ] श्री पूज्य गुरुवर्य प्रेमानंद जी महाराज जी विश्व के मानवता कल्याण के लिए पर्वत इतने बढ़े ज्ञान का अमृत दे रहे है.. वेबसाइट की माध्यम से वही ज्ञान प्रसार लोगों को देना का काम एक चींटी की भाती प्रयास कर रहा हूं.. श्री गुरुवर्य महाराज के ज्ञान प्रसार के लिए बल प्रदान करे..राधे..राधे..
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