श्री प्रेमानंद जी महाराज का संदेश: सच्चा मित्र वही जो कुपंथ से हटाकर भगवान के पथ पर ले जाए

श्री प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन जीवन को सात्विक और आध्यात्मिक मार्ग पर ले जाने का एक अनमोल रास्ता दिखाते हैं। वे कहते हैं कि सच्चा मित्र वही है, जो हमें कुपंथ से हटाकर सुपंथ पर ले जाए, वासनाओं से मुक्त कराकर सच्चिदानंद भगवान में जोड़े। इस संसार में सच्चा मित्र कोई और नहीं, बल्कि गुरु और श्रीकृष्ण ही हैं। इस लेख में हम महाराज जी के इस गहन संदेश को समझेंगे और जानेंगे कि सच्चा प्यार और मित्रता क्या है, और यह हमें भगवत प्राप्ति की ओर कैसे ले जा सकती है। राधे-राधे!

सच्चे मित्र की पहचान

श्री प्रेमानंद जी महाराज सिखाते हैं कि सच्चा मित्र वह नहीं जो हमें सांसारिक वासनाओं और कुपंथ की ओर ले जाए। कुपंथ निवार, सुपंथ चलावा—यही सच्चे मित्र की पहचान है। सुपंथ है भगवान का मार्ग, जहां सत्य, प्रेम, और पवित्रता है। महाराज जी कहते हैं, “सच्चा मित्र गुरु ही है, और सच्चा यार श्रीकृष्ण है।” इस संसार में कोई और सच्चा मित्र नहीं हो सकता, क्योंकि दुनिया के लोग अक्सर अपनी वासनाओं और स्वार्थों के लिए प्यार का दिखावा करते हैं।

वे कहते हैं कि जो लोग कहते हैं, “मैं तुमसे प्यार करता हूँ”, वे अक्सर अपने भोग और वासनाओं की पूर्ति के लिए ऐसा बोलते हैं। यह सच्चा प्यार नहीं, बल्कि स्वार्थ है। सच्चा प्यार वही है, जो अपने प्रिय को सुखी रखे, उसकी हर बात को सिर-माथे पर रखे, और उसे सच्चे मार्ग पर ले जाए। ऐसा प्यार केवल भगवान या भगवान का सच्चा भक्त ही कर सकता है।

गुरु और श्रीकृष्ण: सच्चे मित्र

महाराज जी के अनुसार, इस संसार में सच्चा मित्र कोई और नहीं, बल्कि गुरु है, जो हमें भगवान की ओर ले जाता है। गुरु वह है, जो हमें कुपंथ—अर्थात् पाप, वासना, और अनैतिकता—से हटाकर सुपंथ—नाम जप, सत् कर्म, और भक्ति—के मार्ग पर ले जाता है। श्रीकृष्ण स्वयं सच्चे यार हैं, जिन्होंने अर्जुन को गीता का उपदेश देकर जीवन का सही मार्ग दिखाया।

वे कहते हैं कि दुनिया के लोग स्वार्थवश प्यार का दावा करते हैं, लेकिन यह प्यार उनकी वासनाओं की पूर्ति तक सीमित होता है। सच्चा प्यार वह है, जो बिना स्वार्थ के, केवल प्रिय के कल्याण के लिए हो। ऐसा प्यार केवल भगवान या उनके भक्त ही दे सकते हैं। गुरु हमें नाम जप, सत्संग, और पवित्रता का मार्ग दिखाकर भगवत प्राप्ति की ओर ले जाता है।

सच्चा प्यार और गृहस्थ धर्म

महाराज जी गृहस्थ जीवन में भी सच्चे प्यार की महत्ता बताते हैं। वे कहते हैं कि पति-पत्नी का प्रेम सात्विक और धर्मयुक्त होना चाहिए। “पति अपनी पत्नी से प्यार करे, पत्नी अपने पति से प्यार करे”—यह गृहस्थ धर्म का आधार है। पराई स्त्री या पुरुष के प्रति वासना और गंदा आचरण पाप है, जो जीवन को दुख और विपत्ति की ओर ले जाता है।

सच्चा प्यार वह है, जो अपने प्रिय को सुखी रखे, उसका सम्मान करे, और उसे भगवान के मार्ग पर ले जाए। महाराज जी कहते हैं कि यदि गृहस्थ जीवन में पति-पत्नी एक-दूसरे के साथ भगवत भाव रखें, नाम जप करें, और सत् कर्म करें, तो उनका जीवन आनंदमय हो जाता है। माता-पिता की सेवा, जीव दया, और परोपकार भी सच्चे प्यार का हिस्सा हैं।

कुपंथ से बचें, सुपंथ अपनाएं

महाराज जी बार-बार सिखाते हैं कि कुपंथ—जैसे मांसाहार, शराब, व्यभिचार, और अनैतिक कमाई—हमें दुख और असफलता की ओर ले जाता है। वे कहते हैं, “हर जीव में भगवान विराजमान हैं।” जीव हिंसा, जैसे गाय, बकरा, या मुर्गा खाना, केवल जीभ के स्वाद के लिए है, जो हमें नर्क और दुर्गति की ओर ले जाता है। इसके बजाय, हमें शाकाहारी जीवन, पवित्रता, और संयम अपनाना चाहिए।

सुपंथ है नाम जप, सत्संग, और परोपकार का मार्ग। भगवद् गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं, “अवश्यं भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम्”—हमारे कर्मों का फल हमें अवश्य भोगना पड़ता है। इसलिए, हमें पाप कर्मों से डरना चाहिए और शुभ कर्मों को अपनाना चाहिए। हनुमान चालीसा, रामचरितमानस, और अन्य स्तोत्रों का पाठ मन को शांति और आत्मा को बल देता है।

सत् कर्म और भक्ति: सच्चे मित्र का मार्गदर्शन

महाराज जी कहते हैं कि सच्चा मित्र वही है, जो हमें वासनाओं से मुक्त कराकर सच्चिदानंद भगवान में जोड़े। ऐसा मित्र केवल गुरु या श्रीकृष्ण ही हो सकता है। गुरु हमें सत्संग, नाम जप, और सत् कर्म का मार्ग दिखाता है। वे कहते हैं, “हर जीव की सेवा करो, किसी को कष्ट मत दो।” जीव दया, परोपकार, और सात्विक जीवन ही हमें भगवत प्राप्ति के करीब ले जाता है।

वे समाज को संदेश देते हैं कि अनैतिकता, जीव हिंसा, और स्वार्थ छोड़कर हमें पवित्रता और प्रेम का मार्ग अपनाना चाहिए। माता-पिता की सेवा, गरीबों की मदद, और सभी जीवों के प्रति दया सच्चे मित्र के गुण हैं। यह गुण हमें गुरु और भगवान से मिलते हैं।

निष्कर्ष

श्री प्रेमानंद जी महाराज का संदेश हमें सिखाता है कि सच्चा मित्र वही है, जो हमें कुपंथ से हटाकर सुपंथ पर ले जाए। सच्चा मित्र गुरु और श्रीकृष्ण हैं, जो हमें वासनाओं से मुक्त कराकर भगवान के मार्ग पर ले जाते हैं। सच्चा प्यार वह है, जो स्वार्थरहित हो और प्रिय के कल्याण के लिए हो। नाम जप, सत्संग, जीव दया, और परोपकार अपनाकर हम अपने जीवन को सुखमय और मंगलमय बना सकते हैं। राधे-राधे!

डिस्क्लइमर [ disclaimer ] श्री पूज्य गुरुवर्य प्रेमानंद जी महाराज जी विश्व के मानवता कल्याण के लिए पर्वत इतने बढ़े ज्ञान का अमृत दे रहे है.. वेबसाइट की माध्यम से वही ज्ञान प्रसार लोगों को देना का काम एक चींटी की भाती प्रयास कर रहा हूं.. श्री गुरुवर्य महाराज के ज्ञान प्रसार के लिए बल प्रदान करे..राधे..राधे..

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