निरंतर नाम जप का रहस्य: श्री प्रेमानंद महाराज का मार्गदर्शन

एकांतिक वार्तालाप में एक व्यक्ति ने श्री प्रेमानंद महाराज से सवाल किया, “महाराज जी, आपने निरंतर नाम जप का अभ्यास कैसे किया?” इस पर महाराज जी ने उत्तर दिया:

“राधा राधा राधा राधा, देखो तुम भी करो राधा राधा अंदर। अंदर ही अंदर नाम जप करने से नशा चढ़ जाएगा और एक आनंद की अनुभूति होगी।”

जब व्यक्ति को धन से लगाव होता है, तो वह रुपये के बारे में चिंतन करता है। जब काम भाव सताता है, तो मन स्त्री की ओर आकर्षित होता है। इसी प्रकार, जब प्रेम भाव भगवान के प्रति जागृत होता है, तो भजन का चिंतन स्वाभाविक रूप से होने लगता है। निरंतर “राधा राधा” जपने से आत्मा में अपार शांति और आनंद का संचार होता है।

भगवान के नाम का निरंतर स्मरण कैसे करें?

महाराज जी ने बताया कि तद स्मरण परम व्याकुलते। यानी, जहां थोड़ा भी भगवान के नाम का विस्मरण होता है, वहां व्याकुलता उत्पन्न होती है। नाम जप का अभ्यास निरंतर होना चाहिए, चाहे आंखें खुली हों या बंद।

उन्होंने यह भी कहा कि जबान के अग्र भाग को ऊपर के तालू के पास लगाकर जप करने से नाम जप निरंतर चलता रहेगा। यह एक विशेष मुद्रा होती है, जिससे नाम जप का अभ्यास स्वतः होता है। जो साधक नए हैं, वे धीरे-धीरे इस विधि को समझ जाएंगे और इसमें निपुण हो जाएंगे।

नाम जप से क्या लाभ होता है?

  1. मन की शांति: भगवान का नाम लेने से मन स्थिर और शांत होता है।
  2. भक्ति का जागरण: निरंतर नाम जप से हृदय में भक्ति भाव प्रबल होता है।
  3. सकारात्मक ऊर्जा: भगवान के नाम का जप करने से नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
  4. आध्यात्मिक उन्नति: साधक का मन धीरे-धीरे सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर परमात्मा से जुड़ जाता है।

कैसे करें निरंतर नाम जप?

  1. जब भी समय मिले, “राधा राधा” का जप करें।
  2. इसे आदत बना लें कि काम करते समय भी मन ही मन नाम जप चलता रहे।
  3. जबान को तालू से लगाकर जप करने से यह प्रक्रिया स्वाभाविक हो जाएगी।
  4. अभ्यास से धीरे-धीरे यह आपकी जीवनशैली का हिस्सा बन जाएगा।

महाराज जी ने कहा, “आप हमें अपना मित्र मानो और हमारे साथ आगे बढ़ो। नाम जप से जो आनंद मिलेगा, वह अवर्णनीय है।”

तो आज ही से शुरू करें राधा नाम का जप और आध्यात्मिक आनंद का अनुभव करें!

डिस्क्लइमर [ disclaimer ] श्री पूज्य गुरुवर्य प्रेमानंद जी महाराज जी विश्व के मानवता कल्याण के लिए पर्वत इतने बढ़े ज्ञान का अमृत दे रहे है.. वेबसाइट की माध्यम से वही ज्ञान प्रसार लोगों को देना का काम एक चींटी की भाती प्रयास कर रहा हूं.. श्री गुरुवर्य महाराज के ज्ञान प्रसार के लिए बल प्रदान करे..राधे..राधे..

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