एकांतिक वार्तालाप में एक व्यक्ति ने श्री प्रेमानंद महाराज से प्रश्न किया, “महाराज जी, माता-पिता की सेवा श्रेष्ठ है या भगवान की सेवा?” इस पर महाराज जी ने उत्तर दिया:
“माता-पिता की सेवा ही सच्ची भक्ति है। जब मूर्ति में भगवान का वास हो सकता है, तो माता-पिता में क्यों नहीं?”
माता-पिता की सेवा क्यों श्रेष्ठ है?
महाराज जी ने स्पष्ट किया कि भगवान की मूर्ति में भोग लगाने से अधिक महत्वपूर्ण माता-पिता की सेवा करना है। यदि माता-पिता वृद्धावस्था में असहाय हो जाएं, तो उनकी देखभाल करना ही सच्ची सेवा है। जब माता-पिता को भगवान मानकर उनकी सेवा की जाती है, तो स्वयं भगवान चलकर आशीर्वाद देने आ जाते हैं।
उन्होंने समझाया कि:
- मूर्ति की पूजा करने से मूर्ति निंदा नहीं करेगी, लेकिन माता-पिता जीवन में कई बार नाराज हो सकते हैं, फिर भी उनकी सेवा करना महत्वपूर्ण है।
- माता-पिता के न रहने पर किसी अपाहिज, असहाय या अनाथ व्यक्ति की सेवा करना भी उतना ही पुण्यदायी है।
- असहायों को भोजन कराना, उनके गंदे कपड़े धोकर स्वच्छ वस्त्र पहनाना, उनकी देखभाल करना सच्ची भक्ति है।
कर्मों का प्रभाव और सेवा का महत्व
श्री प्रेमानंद महाराज ने बताया कि जीवन में माता-पिता का सानिध्य मिलना बड़े भाग्य की बात है। लेकिन कई बार हमारे कर्मों के प्रभाव से माता-पिता का साथ अल्प समय के लिए मिलता है।
उन्होंने कहा:
- जीवन में जो कुछ भी मिलता या छिनता है, वह हमारे पूर्व जन्मों के कर्मों का परिणाम होता है।
- कई अनाथ बच्चे होते हैं जिन्हें यह भी पता नहीं होता कि उनके माता-पिता कौन थे।
- यदि माता-पिता न हों, तो भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए कि किसी असहाय व्यक्ति की सेवा का अवसर मिले।
- संसार के सभी जटिल कर्मों को मिटाने के लिए एकमात्र उपाय है – नाम जप।
भगवान को माता-पिता मानकर सेवा करें
महाराज जी ने समझाया कि यदि माता-पिता नहीं हैं, तो भगवान को ही माता-पिता मानकर उनकी सेवा करें।
“तुम मेरे माता-पिता हो, तुम मेरे सखा हो, तुम ही मेरे सब कुछ हो।”
इसलिए, जो भी सेवा का अवसर मिले, उसे परमात्मा की कृपा मानकर निष्ठा से करना चाहिए। यही सच्ची भक्ति और मोक्ष का मार्ग है।
डिस्क्लइमर [ disclaimer ] श्री पूज्य गुरुवर्य प्रेमानंद जी महाराज जी विश्व के मानवता कल्याण के लिए पर्वत इतने बढ़े ज्ञान का अमृत दे रहे है.. वेबसाइट की माध्यम से वही ज्ञान प्रसार लोगों को देना का काम एक चींटी की भाती प्रयास कर रहा हूं.. श्री गुरुवर्य महाराज के ज्ञान प्रसार के लिए बल प्रदान करे..राधे..राधे..
ये भी जरूर पढ़े…
श्री प्रेमानंद महाराज: मन करता है कि घर छोड़कर बाबा जी बन जाऊं
मैं अथीथ नहीं भूल पाती..महिला के इस सवाल पर महाराज का जवाब
गंदी बातों से बच्चों को कैसे बचाएं महाराज जी की उच्चतम सलाह
श्री प्रेमानंद महाराज:मृत्यु भय हर समय जीवन में लगा रहता है?
माता-पिता को नशे में पीटना यह गलत आदतें अब छूट गई है,लेकिन आगे यह गलतियां ना हो इसके लिए क्या करें।