श्री प्रेमानंद महाराज: नाम जप और अंतिम समय में मोक्ष प्राप्ति

गुरुदेव श्री प्रेमानंद महाराज के साथ एकांतिक वार्तालाप में एक व्यक्ति ने प्रश्न किया:
“गुरुदेव, भगवान का नाम जप करते समय मन में विचारों की रील लगातार चलती रहती है। यदि शरीर छोड़ते समय भी यह दोनों (नाम जप और विचार) साथ-साथ चलते रहें, तो क्या भगवत प्राप्ति होगी?”

इस प्रश्न का उत्तर देते हुए गुरुदेव ने कहा:
“हां, भगवत प्राप्ति होगी। क्योंकि नाम सत है और विचार असत। असत की कोई सत्ता नहीं है, लेकिन सत हर समय विद्यमान रहता है। जैसे अजामिल ने अपने पुत्र का नाम ‘नारायण’ रखा था। अंतिम समय में वह अपने पुत्र को पुकार रहा था, लेकिन उसके मन में भगवान नहीं, बल्कि पुत्र का चिंतन था। फिर भी, उसने ‘नारायण’ नाम का उच्चारण किया, जिससे भगवान के पार्षद आ गए और उसे यमदूतों के फंदे से छुड़ाकर परम पद की प्राप्ति करवाई।”

इस प्रसंग से स्पष्ट है कि अंतिम समय में भगवान का नाम जप करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। चाहे भाव हो या कुभाव, यदि नाम जप चल रहा हो, तो अंतिम सांस में भगवत प्राप्ति निश्चित है।

नाम जप का महत्व

  • नाम सत है और सदैव विद्यमान रहता है।
  • अंतिम समय में भगवान का नाम लेने से मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • भाव या कुभाव का कोई महत्व नहीं, नाम जप ही मुख्य है।

अजामिल की कथा से सीख
अजामिल ने अपने पुत्र को ‘नारायण’ नाम दिया। अंतिम समय में वह पुत्र के चिंतन में था, लेकिन ‘नारायण’ नाम का उच्चारण करने से भगवान की कृपा प्राप्त हुई। यह सिद्ध करता है कि नाम जप का प्रभाव अद्भुत है।

निष्कर्ष
जो व्यक्ति निरंतर भगवान का नाम जप करता है, उसका मंगल दसों दिशाओं में होता है। अंतिम समय में यदि भगवान का नाम स्मरण हो जाए, तो परम मंगल (मोक्ष) निश्चित है। इसमें कोई संशय नहीं है।

डिस्क्लइमर [ disclaimer ] श्री पूज्य गुरुवर्य प्रेमानंद जी महाराज जी विश्व के मानवता कल्याण के लिए पर्वत इतने बढ़े ज्ञान का अमृत दे रहे है.. वेबसाइट की माध्यम से वही ज्ञान प्रसार लोगों को देना का काम एक चींटी की भाती प्रयास कर रहा हूं.. श्री गुरुवर्य महाराज के ज्ञान प्रसार के लिए बल प्रदान करे..राधे..राधे..

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