श्री प्रेमानंद महाराज: मन करता है कि घर छोड़कर बाबा जी बन जाऊं

श्री प्रेमानंद महाराज जी से एक युवक ने पूछा, “मन करता है कि घर छोड़कर बाबा जी बन जाऊं।” इस पर महाराज जी ने बड़ी सहजता से युवक का सवाल सुना और उसे समझाया। युवक ने बताया कि वह गृहस्थ जीवन में ईश्वर का नाम और भजन करने में कठिनाई महसूस करता है।

महाराज जी का ज्ञानवर्धक उत्तर

महाराज जी ने समझाया कि यह मन का स्वभाव है। जब भी मन किसी क्षेत्र में कठिनाई का अनुभव करता है, तो वह उससे हटकर कुछ और करने की सोचने लगता है। लेकिन अगर दूसरी जगह भी कठिनाई आए, तो मन वापस संसार की ओर लौट आता है।

गृहस्थ जीवन में रहकर भक्ति का महत्व

महाराज जी ने कहा, “आज के समय में बाबा जी बनना बहुत कठिन है। सोशल मीडिया और आधुनिक जीवनशैली ने इसे और चुनौतीपूर्ण बना दिया है। 50 साल तक सही जीवन जीने के बाद भी, अगर एक गलती हो जाए, तो आपकी सारी मेहनत व्यर्थ हो सकती है।”

उन्होंने सुझाव दिया कि गृहस्थ जीवन में रहकर भी भक्ति की जा सकती है। अपने माता-पिता, भाई-बहन, और परिवार के सदस्यों में भगवान को देखें। हर काम ईश्वर का स्मरण करके करें, इससे आपका जीवन सफल और धन्य होगा।

गृहस्थ धर्म में भक्ति के लाभ

  • परिवार में ईश्वर का स्मरण करने से जीवन में संतुलन आता है।
  • गृहस्थ जीवन में रहकर भक्ति करना आसान और सुरक्षित है।
  • परिवार और समाज में अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए भी आत्मिक शांति प्राप्त की जा सकती है।

महाराज जी की प्रेरणादायक बातें

महाराज जी ने युवक को समझाया कि बाबा जी बनकर तपस्या करने से पहले, अपने परिवार के भीतर भक्ति और सेवा का मार्ग अपनाएं। इससे न केवल आपका जीवन बल्कि आपके परिवार का भी कल्याण होगा।

निष्कर्ष

श्री प्रेमानंद महाराज जी की शिक्षा गृहस्थ जीवन में भक्ति और सेवा को बढ़ावा देती है। यह जीवन जीने का एक सरल और प्रभावी तरीका है, जो न केवल व्यक्तिगत बल्कि पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर भी लाभदायक है।

डिस्क्लइमर [ disclaimer ] श्री पूज्य गुरुवर्य प्रेमानंद जी महाराज जी विश्व के मानवता कल्याण के लिए पर्वत इतने बढ़े ज्ञान का अमृत दे रहे है.. वेबसाइट की माध्यम से वही ज्ञान प्रसार लोगों को देना का काम एक चींटी की भाती प्रयास कर रहा हूं.. श्री गुरुवर्य महाराज के ज्ञान प्रसार के लिए बल प्रदान करे..राधे..राधे..

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