प्रेमानंद महाराज जी:भजन मार्ग में नाम जप करती हूं, पर मन प्रसन्न नहीं रहता है?

एकांतिक वार्तालाप में श्रीहरिकोटा से आई एक महिला ने premanand ji maharaj जी से अपने जीवन में हुई व्यथा की जानकारी देते हुए कहा कि मैं भजन मार्ग में नाम जप करती हूं,फिर भी मुझे मन प्रसन्न नहीं रहता है।

Premanand Maharaj Ji I chant the name in the bhajan path.

premanand ji maharaj जी ने इसका सरलता से जवाब देते हुए की किसी भी इंसान का जब मन पाप रहित रहता है तो उसका मन शुद्ध नहीं होता उसमें कामवासना,धन, लाभ जैसी माया से वह पूरी तरह से बाधित हो जाता है जिस कारण शुरू में कोई भी जब इंसान भजन मार्ग या नाम जप करता है तो शुरू में उसकी प्रसन्नता नहीं आती है,जब वह धीरे-धीरे अपने नाम जब को बढ़ाता है तो उसमें उसकी आध्यात्मिक शक्ति बढ़ाते हुए उसे पुराने पाप या वर्तमान में हो जो पाप कर रहा है उसका नाश होता जाता है।

प्रेमानंद महाराज जी ने कहा कि किसी भी इंसान का मन तभी अधिक प्रसन्न होता है जब वह भजन मार्ग में बिना कोई लोभ, माया से नाम जप करता है, तो उसको शुरू में तो आंख से आंसू आने लगते हैं फिर बाद में इतनी प्रसन्नता उसके मन में जागृत हो जाती है, जो जीवन भर टिकी रहती है इस संसार से उसे इंसान को कोई भी लेना-देना होता नहीं है, वह अपने ईश्वर ही प्रसन्नता से हर समय प्रसन्न रहने लगता है।

डिस्क्लइमर [ disclaimer ] श्री पूज्य गुरुवर्य प्रेमानंद जी महाराज जी विश्व के मानवता कल्याण के लिए पर्वत इतने बढ़े ज्ञान का अमृत दे रहे है.. वेबसाइट की माध्यम से वही ज्ञान प्रसार लोगों को देना का काम एक चींटी की भाती प्रयास कर रहा हूं.. श्री गुरुवर्य महाराज के ज्ञान प्रसार के लिए बल प्रदान करे..राधे..राधे..

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